Monday, April 29th, 2024

डीएविवि सहित आठ माह में चार कुलपति हुए विश्वविद्यालयों से रवाना

भोपाल
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति को नियुक्त करने में राजभवन लेटलतीफी कर रहा है। जबकि राजभवन को विवि में धारा 52 लगने की दशा में तत्काल प्रभारी कुलपति को नियुक्त करना था, जो नहीं किया गया है। चौबीस घंटे बीत गए हैं, लेकिन कुलपति की कुर्सी रिक्त बनी हुई है। संवैधानिक पद होने के कारण शिक्षाविद इसकी तीखी आलोचना कर रहे हैं। राजभवन द्वारा सूचित किया गया है कि प्रभारी कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया चलन में हैं। कांग्रेस सरकार ने महज आठ माह में चार विवि के कुलपतियों को रवाना जरुर कर दिया है।

डीएविवि इंदौर के कुलपति नरेंद्र कुमार धाकड़ को हटाने के बाद शासन ने धारा 52 लगाकर अधिसूचना जारी कर दी। शासन ने प्रभारी कुलपति को नियुक्त करने सोमवार को ही करीब ढाई बजे फाइल राजभवन भेज दिए थे। शासन ने फाइल में तीन उम्मीदवारों का पैनल तैयार कर राजभवन भेज दिया था। मप्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 52 (3) केमुताबिक राजभवन को तत्काल उक्त उम्मीदवार में से किसी एक को एक साल के लिए प्रभारी कुलपति नियुक्त करना था, जो राजभवन द्वारा नहीं किया गया। अब चौबीस घंटे बीत चुके हैं, लेकिन राजभवन अभी तक प्रभारी कुलपति की नियुक्ति नहीं कर सका है।

हाईकोर्ट ने भेजा था राजभवन नोटिस
ये पहला मौका नहीं हैं जब प्रभारी कुलपति की नियुक्ति में लेटलतीफी हुई है। इसके पहले भी राजभवन विक्रम विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति बालकृष्ण शर्मा को नियुक्त करने में मनमर्जी कर चुका है। इसके चलते उन्हें हाईकोर्ट का नोटिस तक भेजा जा चुका है। जानकारी के मुताबिक राजभवन दो माह में नोटिस का जवाब नहीं दे पाया है। राजभवन ने शासन के तीन उम्मीदवारों का पैनल नजरअंदाज कर प्रभारी कुलपति के तौर शर्मा की नियुक्ति में मनमानी की है। इसे लेकर होल्कर कालेज के पूर्व प्राचार्य सेवानिवृत्त डॉ. शंकर लाल गर्ग ने हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में गुहार लगाई थी। इसके चलते हाईकोर्ट की युगलपीठ ने राज्यपाल पटेल को नोटिस देकर जवाब तलब किया है।

आठ माह में तीन कुलपति रवाना
राज्य के विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बने हुए हंै। प्रदेश में स्थिति यह  है कि विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार की जांच के लिए हाईकोर्ट आदेश दे रहा है, लेकिन राजभवन और भाजपा सरकार सुन नहीं रही थी। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद उच्च शिक्षा विभाग की कमान मंत्री जीतू पटवारी को सौंपी गई, जिन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति एसएस पांडे को हटाया इसके बाद कुलपति धाकड़ की घर वापसी करा दी। आठ माह की कांग्रेस सरकार ने चार केुलपतियों को रवाना कर दिया है। सांची विवि पदों से हटाया जा चुका है। वहीं छतरपुर विवि के कुलपति प्रियव्रत शुक्ला स्वयं ही इस्तीफा देकर रवाना हो गए थे। ये सिलसिला आगे भी चलने वाला है। क्योंकि कुलपति अभी भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।

राजभवन से सम्बंधित समाचार :-

हाईकोर्ट ने कुलपति नियुक्ति पर राज्यपाल पटेल को थमाया नोटिस

http://mpeducationnews.in/news.php?post=1229

 

Source : mp education

संबंधित ख़बरें

आपकी राय

1 + 7 =

पाठको की राय